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तुम अपने शिकवे की बातें न खोद खोद के पूछो हज़र करो

तुम अपने शिकवे की बातें
न खोद खोद के पूछो
हज़र करो मिरे दिल से
कि उस में आग दबी है...

― मिर्ज़ा ग़ालिब

चला हूँ जबसे दिल्लगी तुझे बुलाये
राज़ दफन है ताज बन के
हवा भी रूह न बुलाये
ये मेरी गलियां लाल हैं
शुकराना है कि यादों में हूँ मैं अबतक महान शायर #मिर्ज़ाग़ालिब (27 दिसम्बर 1797 - 15 फ़रवरी 1869) का आज जन्मदिवस है। ग़ालिब जो एक मिथक की सी हैसियत रखते हैं, उनकी शायरी का हर कोई दीवाना है। गुलज़ार साहब के मिर्ज़ा ग़ालिब सीरियल और जगजीत सिंह द्वारा गाई गई ग़ज़लों के हवाले से हम ग़ालिब को याद करते रहते हैं। आइए, आज उनको अपने अंदाज़ में याद करें।
#collab   #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
तुम अपने शिकवे की बातें
न खोद खोद के पूछो
हज़र करो मिरे दिल से
कि उस में आग दबी है...

― मिर्ज़ा ग़ालिब

चला हूँ जबसे दिल्लगी तुझे बुलाये
राज़ दफन है ताज बन के
हवा भी रूह न बुलाये
ये मेरी गलियां लाल हैं
शुकराना है कि यादों में हूँ मैं अबतक महान शायर #मिर्ज़ाग़ालिब (27 दिसम्बर 1797 - 15 फ़रवरी 1869) का आज जन्मदिवस है। ग़ालिब जो एक मिथक की सी हैसियत रखते हैं, उनकी शायरी का हर कोई दीवाना है। गुलज़ार साहब के मिर्ज़ा ग़ालिब सीरियल और जगजीत सिंह द्वारा गाई गई ग़ज़लों के हवाले से हम ग़ालिब को याद करते रहते हैं। आइए, आज उनको अपने अंदाज़ में याद करें।
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madhav1592369316404

Madhav Jha

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