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इतराता बहोत है तुम्हारा चेहरा लोग कहते है पुचते है

इतराता बहोत है तुम्हारा चेहरा
लोग कहते है
पुचते है सबब मेरी आदावोका
मुसलसल है जो मुझमे
लोग कहते है
वाकिफ है मेरे रुबारू वो साज कैसा
रूहनियात मे बसा हुआ ये राज कैसा
लोग कहते है
शोकियो से भरी हुई शबब
मेरी मसनाद थी किसी वक्त
लोग कहते है
मेरे से तेरी पहचान करते 
है आज भी
लोग कहते है
सफेह अब जिंदगी मेरी 
मसरूफ. है तुझे खोजने मे
आज भी 
लोग कहते है
ओ बेवफा तो तुम ही थे
तुम्हारा लहजा बस छोड गये 
मुझमे
लोग कहते है log kahte hai
इतराता बहोत है तुम्हारा चेहरा
लोग कहते है
पुचते है सबब मेरी आदावोका
मुसलसल है जो मुझमे
लोग कहते है
वाकिफ है मेरे रुबारू वो साज कैसा
रूहनियात मे बसा हुआ ये राज कैसा
लोग कहते है
शोकियो से भरी हुई शबब
मेरी मसनाद थी किसी वक्त
लोग कहते है
मेरे से तेरी पहचान करते 
है आज भी
लोग कहते है
सफेह अब जिंदगी मेरी 
मसरूफ. है तुझे खोजने मे
आज भी 
लोग कहते है
ओ बेवफा तो तुम ही थे
तुम्हारा लहजा बस छोड गये 
मुझमे
लोग कहते है log kahte hai