इतराता बहोत है तुम्हारा चेहरा लोग कहते है पुचते है सबब मेरी आदावोका मुसलसल है जो मुझमे लोग कहते है वाकिफ है मेरे रुबारू वो साज कैसा रूहनियात मे बसा हुआ ये राज कैसा लोग कहते है शोकियो से भरी हुई शबब मेरी मसनाद थी किसी वक्त लोग कहते है मेरे से तेरी पहचान करते है आज भी लोग कहते है सफेह अब जिंदगी मेरी मसरूफ. है तुझे खोजने मे आज भी लोग कहते है ओ बेवफा तो तुम ही थे तुम्हारा लहजा बस छोड गये मुझमे लोग कहते है log kahte hai