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हौसला था कि , कुछ देर और तूफ़ां से उलझता नादां कस्त

हौसला था कि , कुछ देर और तूफ़ां से उलझता
नादां कस्ती को तो, किनारे उतर जाने की जल्दी थी

जुगनुओं से भी इस आशियाँ को रौशन कर लेता
कम्बखत इस रात को भी, ढल जाने की जल्दी थी

जिस खुशबू से महकता है घर का ये आँगन
उसे....... नज़रों से उतर जाने की जल्दी थी

कुछ पल और चलता तो पा ही लेता मन्ज़िल
पर जीतने वाले को तो, हार जाने की जल्दी थी

अभी तो और दाम गिरेंगे इन ज़मीरों के
जाने क्यूँ उसे..... बिक जाने की जल्दी था

हँसता और क्या ना करता इन ज़ख्मों पर वो
इस दर्द को हद से,जो गुज़र जाने की जल्दी थी

तमाम उमर दरीचों की परवाह वो जो करता रहा
 दीवारों को जाने कब से, गिर जाने की जल्दी थी

चले कि.... ये महफ़िल तो है अनजान
सभी को तो बस दस्तूर निभाने की जल्दी थी
@विकास

©Vikas sharma
  उसे... जल्दी थी
vickysharma3971

Vikas sharma

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उसे... जल्दी थी #लव

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