प्यार बस प्यार जैसा होता है प्यार मे रिस्वतें नहीं चलती..! दुआओं में याद रखने से इनकार नहीं कर सकता प्यार के रुहानी लफ्ज़ को बेकार नहीं कर सकता मैं किसी की सासों पर अधिकार नहीं कर सकता ऐ रब किसी की जिंदगी को अपने बस में कर लेना गर यही प्यार है तो बेशक मैं प्यार नहीं कर सकता मन ने बोला सो लिखा ~~~~~~~~~~~~~~~~ शायद मेरे लिए प्रेम या प्रणय की परिभाषा कुछ और है, मैं अपनी परिभाषा को पूर्ण रूप से तो प्रमाणित नहीं कह सकता परन्तु यह सत्य है आज तक कभी मेरे विचार प्रेम पर विजय पाने या जीतने से हमेशा परे रहे, प्रेम की परिभाषा को लेकर मेरे विचार सदैव कुछ अलग रहे। शायद गलत हो सकता हूँ पर प्रेम में जब हठ आ जाता है तो प्रेम का पतन और अहं का भाव जन्म लेने लगता है। किसी पर यह सिद्ध करके कि वह प्रेम करता है तो आपके आधीन है या उस पर आपकी संप्रभुता है तो मेरे विचार इस नीति का अनुमोदन नहीं कर सकते, क्योंकि मैंने सदैव यह विचार रखा कि प्रेम एक पूजा की तरह है जिसमें आपको लगन होनी चाहिए यदि किसी के मन में यह विचार आए कि ईश्वर से आप प्रेम करते हैं तो वो आपके आधीन रहे , मैं उचित नहीं समझता।