मैं सुबह जागा नही हूँ जगाया गया हूँ इन समुद्र की लहरों ने रफ्तार से भागती भिडो ने समय के बदलाव ने अपने सपनो के ख्याल ने समय के गुम सुम सवाल ने झिझोड़ कर मुजे उठाया गया है मैं सुबह जागा नही हुन मुजे जगाया गया है माँ की बाते पिता की डांट कहते हे बेटा समल कर रहना इस जंजाल में । मैं सब भुल गया इन भेड़ियों की चाल में जैसे फस गया अर्जुन चक्रव्युह के जाल में। ये बाते मेरे दिमाक को सुना सुनाकर मुझे भीड़ में भगति है। भीड़ में भी डरे सहमे मायूस निराश हारा हुआ चेहरा इस भीड़ का बोहोत डराता है। पर एक नन्नी बची की मुस्कान देख मेरा ख्वाब फिर जाग जाता है ।क्योंकि मैं जागा नही हूँ मुझे जगाया गया है चिलम की जलन ने शराब की अगन ने गुट के की तलब ने गलियों के चलन ने इन सबके कर्म से फिर लोगो को कीचड़ में डाला गया है।। यहाँ कोइ कमल किचड़ में खुद से खिलता नही बल्कि उसे खिलाया गया है मैं सुबह जगा नही मुझे....। उनके प्यार के अहसास ने जैसे कृष्णा राधा के विश्वाश में राम ने सीता के साथ वनवास में जैसे सुदामा का अपने मित्र के प्यार मै जैसे खुदा का नाम लोगो की नमाज़ में ऐसे में भी मिलना चाहता हूं उससे उसके विश्वास में पर ये उसके दिल ने समझा नही उसे समझाया गया है यह सब देखा नहीं है बस हमे दिखाया गया है जगाना कोन चाहता था किताबों में कैद उन इतिहास की रूह को लेकीन उन्हें पड़ कर उन्हें जगाया गया है मैं जगा नहीं हूँ मुझे जगाया गया है 13Akshay 13Akshay