पंछी मै आजाद हूं उड़ना चाहू खुले आसमान में पर उड़ने नहीं देते मुझे ये इंसान है अरे ये तो मेरे लिए कदम कदम पर बिछाए जाल है ©Nidhi Tripathi कदम कदम पर जाल है इंसानों की यह तो चाल है