वो चाँद आवारा पागल सा जो मुझ संग प्रीत लगाता था वो गैर हुआ जिससे बैर हुआ वो बादल में छिप जाता था मै कहती थी ना खेलो तुम मुझसे यु छुपम छुपाई फिर भी वो रह-रह कर जाने कहा-कहा चला जाता था मै बैठती उसकी आश लगाए उसके मन को ये ना भाये और मुझसे बहाने कर-2 के ही तारो संग राश रचाता था वो चाँद आवारा पागल सा जो मुझ संग प्रीत लगाता था वो गैर हुआ जिससे बैर हुआ वो बादल में ही छुप जाता था। #NojotoQuote