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"मेरी दादी" अनुशीर्षक में पढ़ें। #MeriDadi #DadiKiB

"मेरी दादी"
अनुशीर्षक में पढ़ें। #MeriDadi #DadiKiBarsi #Yadein #Shiksha आज दादी की बरसी पर फिर से वही सब पुराने पल याद आये , उनके साथ बिताया हुआ हर एक पल याद है मुझे। कैसे वह मुझे समझाया करती थी सही और गलत से मुझे उन्होंने वाक़िफ़ कराया। आज भी मुझे याद है जब बचपन में मुझे डांट पड़ती थी , मैं दौड़कर अपनी दादी के पास उनके पीछे जाकर छुप जाया करती थी और मैं डांट से बच जाती । मैं घर में सबसे छोटी और अपनी दादी की जान थी। और हाँ उनके पास जब भी मैं बैठती वह अपने ज़माने की सब बातें मुझे बताया करती की वह अपने बचपन में कितनी शरारती थी । दादी के साथ बहुत देर तक बातें करती रहती वह अपने तजुर्बे से मुझे बहुत कुछ सिखाया करती थी सच में उन सभी बातों में बढ़ा ज्ञान था । उनके पास बैठना , बातें करना मुझे बहुत अच्छा लगता था । मेरे बढ़े होने पर अब दादी मुझे कुछ ज़्यादा ही समझाने लगी , सच कहूँ तो कभी कभी मैं उनकी बातों से चिढ चिढ़ी भी हो जाया करती थी और दादी मेरे चेहरे से समझ भी जाती की मैं अब परेशान हो रही हूँ । उनकी बातों में दिलचस्पी नहीं ले रही । वह धीरे से बोलते हुए चुप हो जाती की पहले तुम बच्चों के पास वक़्त होता था जब छोटे होते थे मेरे पास आकर बैठते थे । मैं जो शिक्षा दूँ उसे ग्रहण करते थे जब से बढ़े क्या हुए तुम सब दादी को ही भूल गए हो । कहती हूँ लेलो मुझसे शिक्षा कोई बाहर वाला आकर नहीं समझाएगा तुम्हे । जो मुँह बना लेते हो ना मेरी बातों पर। कल को यही सब बातें याद आएंगी अपनी दादी की , जब चली जाउंगी मैं । दादी जब ऐसे बोलती थी तो मन रोने लगता था मेरा , उनसे माफ़ी मांगते हुए फिर मैंने उनको गले से लगाया और उनसे कहा " मेरी प्यारी दादी " आप ऐसी बातें मत किया करो , आप नहीं जानते की आप कितने अनमोल हो हमारे लिए । अच्छा अब अपना दिल नहीं दुखाओ आज के बाद आप जैसे कहोगे मैं वैसा ही करूँगी । आपकी कही हर बात मानूँगी 
आज भी मुझे दादी की कही हुई हर एक बात याद है। अब भी महसूस होता है जैसे मेरी दादी मेरे साथ , मेरे पास है । जानती हूँ उनका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहेगा और मैं अपनी दादी को रोकर याद नहीं करना चाहती । क्यूंकि यह भी मुझे उन्हीने सिखाया था के जब कोई अपना हमसे दूर हमें छोड़कर चला जाए तो उसे रोकर नहीं , उसकी अच्छी यादों के साथ उसे याद करना चाहिए । रोकर याद करने से खुद को भी तकलीफ होगी और उसे भी । आज मेरी दादी मेरे साथ न होकर भी मेरे साथ है। उनकी दी हुई हर एक शिक्षा में वो हैं । 

अंत में आप सभी से बस इतना ही कहना चाहूँगी की जो आपका अपना चला गया है वह चला गया , अब वह लौटकर तो कभी आ नहीं सकता पर हमने जो भी ज्ञान बड़ों से प्राप्त किया है हमें उसकी कदर करनी चाहिए । अपने तजुर्बे से कोई बढ़ा हमें अगर कुछ समझाए तो उसे अपनी ज़िन्दगी में अमल करना चाहिए , ऐसा करना ही उन बड़ों का आदर करना है । वह जहाँ भी होंगे आपको ऐसा करते देख उन्हें यकीनन बेहद खुशी होगी । 
#BhawnaSharma
"मेरी दादी"
अनुशीर्षक में पढ़ें। #MeriDadi #DadiKiBarsi #Yadein #Shiksha आज दादी की बरसी पर फिर से वही सब पुराने पल याद आये , उनके साथ बिताया हुआ हर एक पल याद है मुझे। कैसे वह मुझे समझाया करती थी सही और गलत से मुझे उन्होंने वाक़िफ़ कराया। आज भी मुझे याद है जब बचपन में मुझे डांट पड़ती थी , मैं दौड़कर अपनी दादी के पास उनके पीछे जाकर छुप जाया करती थी और मैं डांट से बच जाती । मैं घर में सबसे छोटी और अपनी दादी की जान थी। और हाँ उनके पास जब भी मैं बैठती वह अपने ज़माने की सब बातें मुझे बताया करती की वह अपने बचपन में कितनी शरारती थी । दादी के साथ बहुत देर तक बातें करती रहती वह अपने तजुर्बे से मुझे बहुत कुछ सिखाया करती थी सच में उन सभी बातों में बढ़ा ज्ञान था । उनके पास बैठना , बातें करना मुझे बहुत अच्छा लगता था । मेरे बढ़े होने पर अब दादी मुझे कुछ ज़्यादा ही समझाने लगी , सच कहूँ तो कभी कभी मैं उनकी बातों से चिढ चिढ़ी भी हो जाया करती थी और दादी मेरे चेहरे से समझ भी जाती की मैं अब परेशान हो रही हूँ । उनकी बातों में दिलचस्पी नहीं ले रही । वह धीरे से बोलते हुए चुप हो जाती की पहले तुम बच्चों के पास वक़्त होता था जब छोटे होते थे मेरे पास आकर बैठते थे । मैं जो शिक्षा दूँ उसे ग्रहण करते थे जब से बढ़े क्या हुए तुम सब दादी को ही भूल गए हो । कहती हूँ लेलो मुझसे शिक्षा कोई बाहर वाला आकर नहीं समझाएगा तुम्हे । जो मुँह बना लेते हो ना मेरी बातों पर। कल को यही सब बातें याद आएंगी अपनी दादी की , जब चली जाउंगी मैं । दादी जब ऐसे बोलती थी तो मन रोने लगता था मेरा , उनसे माफ़ी मांगते हुए फिर मैंने उनको गले से लगाया और उनसे कहा " मेरी प्यारी दादी " आप ऐसी बातें मत किया करो , आप नहीं जानते की आप कितने अनमोल हो हमारे लिए । अच्छा अब अपना दिल नहीं दुखाओ आज के बाद आप जैसे कहोगे मैं वैसा ही करूँगी । आपकी कही हर बात मानूँगी 
आज भी मुझे दादी की कही हुई हर एक बात याद है। अब भी महसूस होता है जैसे मेरी दादी मेरे साथ , मेरे पास है । जानती हूँ उनका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहेगा और मैं अपनी दादी को रोकर याद नहीं करना चाहती । क्यूंकि यह भी मुझे उन्हीने सिखाया था के जब कोई अपना हमसे दूर हमें छोड़कर चला जाए तो उसे रोकर नहीं , उसकी अच्छी यादों के साथ उसे याद करना चाहिए । रोकर याद करने से खुद को भी तकलीफ होगी और उसे भी । आज मेरी दादी मेरे साथ न होकर भी मेरे साथ है। उनकी दी हुई हर एक शिक्षा में वो हैं । 

अंत में आप सभी से बस इतना ही कहना चाहूँगी की जो आपका अपना चला गया है वह चला गया , अब वह लौटकर तो कभी आ नहीं सकता पर हमने जो भी ज्ञान बड़ों से प्राप्त किया है हमें उसकी कदर करनी चाहिए । अपने तजुर्बे से कोई बढ़ा हमें अगर कुछ समझाए तो उसे अपनी ज़िन्दगी में अमल करना चाहिए , ऐसा करना ही उन बड़ों का आदर करना है । वह जहाँ भी होंगे आपको ऐसा करते देख उन्हें यकीनन बेहद खुशी होगी । 
#BhawnaSharma