जींदेगी जीना आ गया था, धीरज अा गया था; कुछ पाने का और कुछ खोने का, दर नहीं था।। सीख लिया बोहोत कुछ, बड़े होने लगें अब हम; कब सोचा था ये सब, देख लिए अब सब कुछ।। खुच रहने का मुखौटा पहन लिए थे हम, हस्ते रहते अब ख़ुश रहते; अब हसाने लगे हैं हम..... एक समय के बाद; जिंडरी सीख लिए थे हम।। एक समय के बाद सूखे पत्ते ख़ुद झड़ जाते हैं वैसे ही इंसान के ग़म। #समयबाद #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi