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जींदेगी जीना आ गया था, धीरज अा गया था; कुछ पाने का

जींदेगी जीना आ गया था,
धीरज अा गया था;
कुछ पाने का और कुछ खोने का,
दर नहीं था।।

सीख लिया बोहोत कुछ,
बड़े होने लगें अब हम;
कब सोचा था ये सब,
देख लिए अब सब कुछ।।

खुच रहने का मुखौटा पहन लिए थे हम,
हस्ते रहते अब ख़ुश रहते;
अब हसाने लगे हैं हम.....

एक समय के बाद;

जिंडरी सीख लिए थे हम।।

 
एक समय के बाद सूखे पत्ते ख़ुद झड़ जाते हैं वैसे ही इंसान के ग़म।
#समयबाद #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
जींदेगी जीना आ गया था,
धीरज अा गया था;
कुछ पाने का और कुछ खोने का,
दर नहीं था।।

सीख लिया बोहोत कुछ,
बड़े होने लगें अब हम;
कब सोचा था ये सब,
देख लिए अब सब कुछ।।

खुच रहने का मुखौटा पहन लिए थे हम,
हस्ते रहते अब ख़ुश रहते;
अब हसाने लगे हैं हम.....

एक समय के बाद;

जिंडरी सीख लिए थे हम।।

 
एक समय के बाद सूखे पत्ते ख़ुद झड़ जाते हैं वैसे ही इंसान के ग़म।
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एक समय के बाद सूखे पत्ते ख़ुद झड़ जाते हैं वैसे ही इंसान के ग़म। #समयबाद #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi