मेरा दिल तोड़ के तूने जो तोहफे में दिया मुझको, सीने में तेरी उस याद को अब तक 'दबा' के रखा है, कहीं नजर न लग जाये उस जिगर के टुकड़े को, हर रोज उसे काजल का टीका 'लगा' के रखा है। तुम लौट के आओगे कभी तो हाल पूछने को, आँखों ने इस ख्वाब को अब तक 'सजा' के रखा है, कहीं आते हुए तुझको कोई ठोकर न लग जाये, हर शाम तेरी राहों में खुद को 'जला' के रखा है। तेरी बातें इक पल को भी भुला नहीं हूँ मैं, तेरे हर लफ्ज का मैंने 'खाका' बना के रखा है, हर कोई तेरे बारे में मुझसे पूछा करता है, पर तेरे अक्स को हमने कहीं पे 'छुपा' के रखा है। जो शब-ए-फुरकत में तुमने दिया था कभी हमको, उस गम को मैंने अब तक 'दवा' बता के रखा है, वफ़ा की बात करते थे,बेवफा हो गए हो तुम, पर मैंने तुझको अभी भी 'खुदा' बता के रखा है। सभी ने डूब के सूना है तेरा मेरा वो याराना, मैंने सभी को उस लम्हे को 'जफ़ा' बता के रखा है, वो जंजीरें हैं काँटों की जिनमें जकड़ा हूँ '"मतवाला", मैंने 'इश्क' को अब बस 'सजा' बता के रखा है। #udquotes #udghazals #फुरकत #गम #जफ़ा #सजा #इश्क़