थाम लो हमें तुम अपना हिस्सा बनालो। या शाम और सुबह का क़िस्सा बनालो। छूकर मुझे अपने हाथों से ग़ज़ल लिखो! या अपनी ग़ज़ल का मुझे मिसरा बनालो। किसी शायर के जैसे पढ़ते हो शायरी में! न जाने कितनी दफ़ा गढ़ते हो डायरी में। तुम रचते रहे हो अब तक बिंबों में मुझे! अपने ख़याल को अब हक़ीक़त बनालो। अब नहीं रह पायेंगे एकपल भी दूर हम! पंछी' किसी के दिल में घोंसला बनालो। ♥️ Challenge-813 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।