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वक्त थोडा़ लम्बा बीत चुका है साथ चलते चलते और कुछ

वक्त थोडा़ लम्बा बीत चुका है साथ चलते चलते 
और कुछ मुलाकातों के गहरे निशान भी हैं हो चले अब 
हल्के से
अब तो आए रोज मिल लिया करो सनम...
आने वाली हंसी रातों को इन्ही यादों की गुफ्तगू से सजाना है और नयी यादों को फिर  से इस दिल में बसाना है...
अब तो आए रोज मिल लिया करो सनम...
अब तो आए रोज मिल ही लिया करो ...

written by JASSI JANGRA MANDAVRIYA 1723@9294.love
वक्त थोडा़ लम्बा बीत चुका है साथ चलते चलते 
और कुछ मुलाकातों के गहरे निशान भी हैं हो चले अब 
हल्के से
अब तो आए रोज मिल लिया करो सनम...
आने वाली हंसी रातों को इन्ही यादों की गुफ्तगू से सजाना है और नयी यादों को फिर  से इस दिल में बसाना है...
अब तो आए रोज मिल लिया करो सनम...
अब तो आए रोज मिल ही लिया करो ...

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