ख्व़ाब ख्व़ाब की बात है, कुछ दिन वाले कुछ रात के. कुछ सर्दी की धूप से, कुछ बिन मौसम बरसात के. मरासिम तुमसे मेरा यूँ तो है बरसों पहला क्या सबूत दूँ ख़्वाबों में होती रही मुलाक़ात के? Together we are in my dreams #dream