मुस्कुराती ज़िन्दगी देख कर जब रश्क हमें आने लगे ख़ुद-ब-ख़ुद पाओं मेरे कब्रिस्ताँ की तरफ़ जाने लगे दफ़न उस कब्र में कैसे-कैसे लोग थे ता उम्र रहे मुस्तकबिल बनाने में सुधरने में ज़माने लगे है दुआ रब से बस इतनी रहूँ बातिल से बचा गर्क होने से पहले रूह मेरी बस ख़ुदा को मनाने लगे तल्ख़ हकीक़त से रु-ब-रु हो जायें हम सब ज़हनसीब हूँ सच्चाई मेरे अक्स को आईना दिखाने लगे #ज़िन्दगी