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जब बारिश की बुँदे छूकर मुझको मुझमें , समा जाती है

जब बारिश की बुँदे छूकर मुझको मुझमें ,
समा जाती है तब याद मुझे तुम आते हो । 

जब गुलाब-ए-इत्र-सी महक मेरी साँसों में ,
घुल जाती है तब याद मुझे तुम आते हो ।

जब साँझ समय अकेली बैठ मेज़ पर हाथ में ,
चाय की प्याली लेकर पुरानी यादों में ,
खो जाती हुँ तब याद मुझे तुम आते हो । 

बंद आँखों की पुतलियों के सामने एक चेहरा इठलाये ,
वो मेरे हमसफ़र मेरे हमनवाँ वो सिर्फ़ तुम होते हो ।


©आराधना 🍁
#OpenPoerty
#meri_aapbeeti_
#aaruswrites
#aabhawrites
#shayari
जब बारिश की बुँदे छूकर मुझको मुझमें ,
समा जाती है तब याद मुझे तुम आते हो । 

जब गुलाब-ए-इत्र-सी महक मेरी साँसों में ,
घुल जाती है तब याद मुझे तुम आते हो ।

जब साँझ समय अकेली बैठ मेज़ पर हाथ में ,
चाय की प्याली लेकर पुरानी यादों में ,
खो जाती हुँ तब याद मुझे तुम आते हो । 

बंद आँखों की पुतलियों के सामने एक चेहरा इठलाये ,
वो मेरे हमसफ़र मेरे हमनवाँ वो सिर्फ़ तुम होते हो ।


©आराधना 🍁
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