कदम कदम बढ़ाए जा, यह ज़िंदगी है एक रेगिस्तान जैसी, अथाग परिश्रम और धैर्य से ही, मिलेगा तुझे रास्ता मंज़िल का। आंधी भी आएगी तूफान भी आयेंगे, पानी की एक बूँद भी ना मिलेगी, फिर भी अपनी सहनशक्ति से, चलना है तुझे अपने लक्ष्य की तरफ। जिंदगी के हर एक पड़ाव पर, तेरा प्रतिद्वंद्वी होगा तैयार हमेंशा तुझे गिराने में, पर तू कभी ना हिलना अपने लक्ष्य से, हमेशा चलते रहना, चलते रहना, चलते रहना। - Nitesh Prajapati ❤प्रतियोगिता-632❤ 👍🏻चित्र प्रतियोगिता - 180👍🏻 🤗आज की चित्र प्रतियोगिता के अंतर्गत आपको चित्र को ध्यान में रखते हुए लिखना है I ध्यान रहे कि शब्द सीमा चित्र के ऊपर ही अंकित हो सके उतनी रहे I🤗 🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दी हुई चुनौती को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।