ये दोस्ती भी अजीब किस्सा निभाती है साथ होकर भी साथ छोड़ जाती है जब कभी सोचता हूं किसी बात को कैसी यादें है जो कभी हसाती है तो कभी रुलाती है BY RAVI PRATAP PAL दोस्ती पर