चित चंचल मोरा वश में नाही.. जबसे छवि देखी प्रीत की .. प्रेम की बदरी बरसत रिमझिम उर जानत है मन रीत की ..! ******* अंखियन में कजरा बहक़त ऐसे जैसे ऋतु शरद की शीत सी , मधु प्यासा मधुकर भटकत ऐसे जैसे रद भ्रमण हो विपरीत की ..! ******* बदलत करवट पल-पल लेटे क्यो जागे सारी-सारी रतियाँ , मन मोरा ठहरा बड़ा हरामी न मानय कबहुँ मोरी बतियाँ...! ******* सुन पवन गीत को मीत मोरे नाही समझत प्रेम-विनीत को , कैसे समझावें कहीं बिसरा न दे मन कचोटत है ,इस भयभीत से..! . #nojoto #nojotohindi #nojotonews #KRP