सरकारी" नल" वो बेपरवाह, होकर बेखबर मुझे सरकारी नल पर बुलाती थी वक्त गया, वो गई, कमबख्त नल भी अब ख़राब हुआ जिससे गांव की प्यास तो बुझ जाया करती थी उसके सूटों के डिजाइन मेरी मां को अच्छे लगते थे कुछ ये बहाने करके हम खुलेआम भी तो मिलते थे उसके उल्टे हाथ पर बीच की नस ज्यादा गहरी नीली थी मानो कह कह कर मुझे अपने नजदीक बुलाती थी हुस्न ना ऐसा इस जिले में था, क्या ही यौवन रखती थी गांव छोड़कर पूरा वो, मेरे गली में टयूशन पढ़ती थी गाय जैसी मोटी आंखे, तोरी की बेल भी छोटी थी चोटी उसकी मानो राशन की कतार जैसे लगती थी गर्दन उसकी मानो लंबी लोकी, धड़ उसका सुराही था पतले पतले पैर थे उसके, माथे पर तेज तेजस्वी था वैसे डिजाइन उसके मॉडर्न थे, ना जाने क्यूं मुमताज़ वो लगती थी P.T.O. ©Situation Teller #situationteller #shubhamtyagiquotes #ministories #Stories #LoveStory #Shayar #gaon