तू महफ़िल से यूं गई हाथों से मेरा जाम गिर गया, खोकर ख्यालों में तेरे महफ़िल से जैसे निकले, मुझसे लड़ने ये जमाना भिड़ गया, क्या कुसूर था मेरा , जरा ठहर, तू बता के जा, कोई माज़ूर था क्या? क्यों तन्हा कर दिए मुझको? तेरे जाने से आज इश्क का जनाजा निकल गया। ✍️ जगदीश्वर कुशवाहा उफ़, मेरा दिल तोड़ दिया...