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भइया हंसते हंसते दूर से ही करता हुं नमस्ते जनसंख्

भइया हंसते हंसते 
दूर से ही करता हुं नमस्ते
जनसंख्या वृद्धी है महामारी इसे ना लो तुम सस्ते सस्ते
वर्णा तुम अपने रास्ते हम अपने रास्ते !

कहता  हुं मै साफ साफ
बढती जनसंख्या है एक सामाजिक अभिश्राप
इस धरती पर बढ रहा है जनसंख्या माप
इसलिये मुंह छुपाकर छुप रहे है हम और आप !

आज जीवन हो गया बडा हाहाकार 
और बढ जायेन्गा जग में अनाचार
अस्वस्थ होगी सभी की मानसिकता और व्यवहार
तब ना होंगे सुंदर और सात्विक विचार !

जीवन हो गया बढा सस्ता 
सभी की एक जैसी है दास्तां
सब पेट के लिये हो जायेंगे खस्ता 
इस मुश्कील से निकालना पडेगा रास्ता  !

इस जनसंख्या वृद्धी से समस्या हुई खडी
टूट रही है देश के विकास की लडी 
स्वस्थ और छोटा परिवार की रेख करो अब खडी
तभी तो संसार में खुशिया होगी खरी !

©salu meena #lotus poem  pablic
भइया हंसते हंसते 
दूर से ही करता हुं नमस्ते
जनसंख्या वृद्धी है महामारी इसे ना लो तुम सस्ते सस्ते
वर्णा तुम अपने रास्ते हम अपने रास्ते !

कहता  हुं मै साफ साफ
बढती जनसंख्या है एक सामाजिक अभिश्राप
इस धरती पर बढ रहा है जनसंख्या माप
इसलिये मुंह छुपाकर छुप रहे है हम और आप !

आज जीवन हो गया बडा हाहाकार 
और बढ जायेन्गा जग में अनाचार
अस्वस्थ होगी सभी की मानसिकता और व्यवहार
तब ना होंगे सुंदर और सात्विक विचार !

जीवन हो गया बढा सस्ता 
सभी की एक जैसी है दास्तां
सब पेट के लिये हो जायेंगे खस्ता 
इस मुश्कील से निकालना पडेगा रास्ता  !

इस जनसंख्या वृद्धी से समस्या हुई खडी
टूट रही है देश के विकास की लडी 
स्वस्थ और छोटा परिवार की रेख करो अब खडी
तभी तो संसार में खुशिया होगी खरी !

©salu meena #lotus poem  pablic
meenaji7023

salu meena

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