जब सच बोलो तो इनको झूठ लगता है, कहानी वही है पर हर कोई बात घुमा के करता है। कितनी बेतरतीब है बेशर्म व्यवस्था है ये चारों तरफ, सच कोने में चुप रहता है और झूठ का शोर मचता है। इस वातावरण में रहते पता नही कब सब बदल गए। खुद को छोड़कर बाकी सब यहां नकली लगता है।। किस खोज में है, क्या पा जाने लालसा मन मे है, रिश्ते-नाते गए भाड़ में,यहाँ हर कोई आपस में चढ़ता है। वक्त वही है, लोग वहीं है, जमाना आखिर कौन बदलता है, इतनी सी बात है कलयुग के नाम पर हर कोई अलग रासलीला रचता है।। ,काले सच का सफेद अंकन करता हूँ स्याही डूबकर जब चलती है नौक लेखनी की, तो हर बंधन को ताक पर रखता हूँ।।। #समाज #society #people #fakepeople #religion #poetry #newwritersclub