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मैने लिखी प्रेम पर कविताएं कुछ अपने करीबी मित्रो

मैने लिखी प्रेम पर कविताएं 
कुछ अपने करीबी मित्रो पर लिखी 
मगर..
मैं मां पापा पर कभी कुछ नहीं लिख पाई
नही जानती क्यों?
मैं नहीं लिखना चाहती 
सच में 
मैं नही लिख पाती 
तुम्हारे क्यों का जवाब 
नही है
मुझे लगता है की 
जिन्होंने मुझे लिखा 
मैं भला उन्हें कैसे लिख सकती हूं 
जब पिता पर लिखना शुरू किया हूं
तो
हाथ में पकड़ी वो कलम 
समेत मै कापने लगती हूं
और जब
मां पर लिखती हुं
तो कलम के चलते आखें भी चलती है 
मैं नही थाम पाती उन 
बहती आंसु की धारा को 
सच कहती हूं ..
मां - पापा मैं आप पर कभी कविताएं नही लिख
पाऊंगी ।।

©karishma jain #bonding #perents #Family #post
मैने लिखी प्रेम पर कविताएं 
कुछ अपने करीबी मित्रो पर लिखी 
मगर..
मैं मां पापा पर कभी कुछ नहीं लिख पाई
नही जानती क्यों?
मैं नहीं लिखना चाहती 
सच में 
मैं नही लिख पाती 
तुम्हारे क्यों का जवाब 
नही है
मुझे लगता है की 
जिन्होंने मुझे लिखा 
मैं भला उन्हें कैसे लिख सकती हूं 
जब पिता पर लिखना शुरू किया हूं
तो
हाथ में पकड़ी वो कलम 
समेत मै कापने लगती हूं
और जब
मां पर लिखती हुं
तो कलम के चलते आखें भी चलती है 
मैं नही थाम पाती उन 
बहती आंसु की धारा को 
सच कहती हूं ..
मां - पापा मैं आप पर कभी कविताएं नही लिख
पाऊंगी ।।

©karishma jain #bonding #perents #Family #post