कवि पागल नहीं होता वही गौरव होता है कोई समझे गमगीन कई समझे रंगीन पर रंगरेज सा बेहतरीन होता है हर किसी की खास बात को कुरेदता खुद में लीन होता है कोई बात में याद ,याद में साथ होता है किनारे की रेत के कणों में जमा सेतहः होता है कुरेदा तो बुरादा होता है समूह में चलता सहारा होता है सोच समझ में कई टुकड़ों से जुड़ा होता है समझ और संभल का प्रतिक होता है बेहद सच और रहस्य सा प्रतीत होता है कवि पागल नहीं अपनी मर्ज़ी का नसीब होता है कवि पागल ही होता है... नहीं तो वो क्यों अपनी ज़िंदगी कविता के पीछे खफा देता है... फिर भी उसे वो नहीं मिलता जो उसके हक़ का होता है #कवि #पागल #कविता #YourQuoteAndMine Collaborating with सौरभ शर्मा कवि पागल नहीं होता वही गौरव होता है कोई समझे गमगीन