चुप्पी के मायने कहाँ ढूँढते हैं ये लोग सारे-के-सारे नासमझ हुए ये लोग सुनी पड़ी हैं मेरे गाँव की पगडंडिया शहरी बाबू जो हुए आजकल ये लोग कब देखते हैं वो बूढ़ी आँखों का दर्द पैसे के गुमान में जो अन्धे हुए ये लोग इन चिरागों को अब ना ही जलाओ आग लगाने में माहिर हुए ये लोग शिकायतें भी करूँ तो किससे करूँ जो गालियां देते हैं बहरे हुए ये लोग कतराती हैं लिखने से मेरी भी कलम बात-बात पर सवाल पूछते हैं ये लोग -knk🍁 . ©Kanak Lakhesar ... #Corona_Lockdown_Rush #kanaklakhesar