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रात भर इक चांद का साया रहा। चाँदनी में उसकी यादों

रात भर इक चांद का साया रहा।
चाँदनी में उसकी यादों का पहरा रहा।
रात गुज़री उसे सोंच कर और चाँद को देख कर।
सारी रात नींद का ना कोई माया रहा।
उसकी यादों की मदहोशी ने नींद चुरा ली थीं।
दिल ने उसके आने का उम्मींद लगाया था।
इक लम्हा में मिल कर पूरी हो जाती दिल की बेचैनी।
दिल को क्या मालूम की वो कहीं और ही जा रखा था।
कितना नादां है दिल कि अब भी वफा करता है उनसे।
जो ज़फा कर गए इस दिल से सदियों पहले।
#ज़फा:- बेवफाई

©MD Afzal
  #उनकी jafa
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MD Afzal

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