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हाल ही में अखबार में एक तस्वीर देखी है तस्वीर के न

हाल ही में अखबार में एक तस्वीर देखी है तस्वीर के नीचे लिखा था कि विचित्र प्रजाति का उल्लू देखा गया इसके प्रति लोगों में को तो हाल व्याप्त हैं हम तो काका की नहीं बस उल्लू के भाग मानते हैं जीवन भर लोगों ने हमें उल्लू बनाया हमें पर हमारे ऐसे बा कहां की अखबारों में सुर्खियां बटोरने पर्ची विज्ञानियों ने बताया कि उल्लू की कई प्रजातियां होती है ब्राउन उल्लू ब्लैक उल्लू देसी उल्लू विदेशी उल्लू मनचली तुल्लू वगैरा-वगैरा हमने हर किसम का उल्लू बनाने की कोशिश लेकिन किसी ने नहीं दुलारा एक बार तो ₹15000 जमा करना और एक लाख देने का और विश्वास पर भी हमने भरोसा किया कंपनी बोरिया बिस्तर बांध का नौ दो ग्यारह हो गई साथ ही में मिलते रहे कईयों ने हमारे मोर बना कर अपना उल्लू सीधा किया और हम वहीं से वहीं रह गए हमारा उल्लू हमेशा हंसता रहा हम सीढ़ियां बनाने पर मंजिल हमें दूरी रही है यार हमारे लोग हमारे सहारा लेकर पार उतर गए हम उल्लू की तरह मुद्रा बनाकर कुर्सी लगाकर आंगन में बैठे रहे जो पेड़ की शाखाओं पर आंखें मूंद बैठा रहता है और लोगों को साधु-संत व ध्यान मत मनाना समस्या के समाधान के लिए आशा लिए उसके चरण छूता रही है पहले दिन भावनाओं ने भी आंख बंद कर ली आंखों में धूल जो कि कुछ सरकार भी आंखें बंद किए प्रशंसा नारोली होती रही न्याय की देवी आंखों पर पट्टी बांधी है वह शेर याद आता है हर शाख पे उल्लू बैठा है

©Ek villain #उल्लू के भाग बड़े

#Travel
हाल ही में अखबार में एक तस्वीर देखी है तस्वीर के नीचे लिखा था कि विचित्र प्रजाति का उल्लू देखा गया इसके प्रति लोगों में को तो हाल व्याप्त हैं हम तो काका की नहीं बस उल्लू के भाग मानते हैं जीवन भर लोगों ने हमें उल्लू बनाया हमें पर हमारे ऐसे बा कहां की अखबारों में सुर्खियां बटोरने पर्ची विज्ञानियों ने बताया कि उल्लू की कई प्रजातियां होती है ब्राउन उल्लू ब्लैक उल्लू देसी उल्लू विदेशी उल्लू मनचली तुल्लू वगैरा-वगैरा हमने हर किसम का उल्लू बनाने की कोशिश लेकिन किसी ने नहीं दुलारा एक बार तो ₹15000 जमा करना और एक लाख देने का और विश्वास पर भी हमने भरोसा किया कंपनी बोरिया बिस्तर बांध का नौ दो ग्यारह हो गई साथ ही में मिलते रहे कईयों ने हमारे मोर बना कर अपना उल्लू सीधा किया और हम वहीं से वहीं रह गए हमारा उल्लू हमेशा हंसता रहा हम सीढ़ियां बनाने पर मंजिल हमें दूरी रही है यार हमारे लोग हमारे सहारा लेकर पार उतर गए हम उल्लू की तरह मुद्रा बनाकर कुर्सी लगाकर आंगन में बैठे रहे जो पेड़ की शाखाओं पर आंखें मूंद बैठा रहता है और लोगों को साधु-संत व ध्यान मत मनाना समस्या के समाधान के लिए आशा लिए उसके चरण छूता रही है पहले दिन भावनाओं ने भी आंख बंद कर ली आंखों में धूल जो कि कुछ सरकार भी आंखें बंद किए प्रशंसा नारोली होती रही न्याय की देवी आंखों पर पट्टी बांधी है वह शेर याद आता है हर शाख पे उल्लू बैठा है

©Ek villain #उल्लू के भाग बड़े

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Ek villain

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