पिता! तेरा ज़ुबां खोलना भी बामक़सद होता है तुझी से बड़ा हौसले का क़द होता है तेरी हर सोच हमें ताज्जुब में डालती है जिसे हम बीज समझते हैं, दरअसल बरगद होता है # पिता! तेरी सोच अनोखी