जा तेरे स्वप्न बड़े हों। भावना की गोद से उतर कर जल्द पृथ्वी पर चलना सीखें चाँद तारों सी अप्राप्य ऊचाँइयों के लिये रूठना मचलना सीखें। हँसें.. मुस्कुराऐं.. गाऐं हर दीये की रोशनी देखकर ललचायें उँगली जलायें। अपने पाँव पर खड़े हों जा तेरे स्वप्न बड़े हों’ ~#दुष्यन्त_कुमार ©Mallika