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कुछ हसरतें हैं मेरी, क्या तुम पूरी करोगी ? क्या मे

कुछ हसरतें हैं मेरी, क्या तुम पूरी करोगी ?
क्या मेरे खातिर अपने अहंकार से दूरी करोगी ?

आम सा लड़का हूँ, आम है ख़्वाहिशात मेरी,
क्या इस आम को अहम बनाना, मकसद ज़रूरी करोगी ?

यह पलकें भीग भीग कर खुद ही सूख जाया करती है अब,
अपने चेहरे के नूर से, मेरे सुकून की मंज़ूरी करोगी ?

यह दिल तुमपर टिका, नज़रें तुम्हारी इर्द गिर्द भटकती है,
क्या तुम भी अपनी दीदार मुझ पर अंकूरी करोगी ?

कभी सुन लो यह इल्तिजा, जो किया करता है कासिम,
शायद तुम भी फिर, इस दुनिया से अवचूरी करोगी। 
Kuch hasratein hain meri, kya tum puri karogi ?
Kya mere khatir apne ego se tum doori karogi ?

Aam sa ladka hoon, aam hai khwahishaat meri,
Kya is aam ko ahem banana maksad zaroori karogi ?

K palkein bheeg bheeg kar khud hi sukh jaaya krti hai ab,
कुछ हसरतें हैं मेरी, क्या तुम पूरी करोगी ?
क्या मेरे खातिर अपने अहंकार से दूरी करोगी ?

आम सा लड़का हूँ, आम है ख़्वाहिशात मेरी,
क्या इस आम को अहम बनाना, मकसद ज़रूरी करोगी ?

यह पलकें भीग भीग कर खुद ही सूख जाया करती है अब,
अपने चेहरे के नूर से, मेरे सुकून की मंज़ूरी करोगी ?

यह दिल तुमपर टिका, नज़रें तुम्हारी इर्द गिर्द भटकती है,
क्या तुम भी अपनी दीदार मुझ पर अंकूरी करोगी ?

कभी सुन लो यह इल्तिजा, जो किया करता है कासिम,
शायद तुम भी फिर, इस दुनिया से अवचूरी करोगी। 
Kuch hasratein hain meri, kya tum puri karogi ?
Kya mere khatir apne ego se tum doori karogi ?

Aam sa ladka hoon, aam hai khwahishaat meri,
Kya is aam ko ahem banana maksad zaroori karogi ?

K palkein bheeg bheeg kar khud hi sukh jaaya krti hai ab,