जिस तरह खिलाड़ी बनकर बेट को थामे रखते हो क्या कभी मेरे ख्यालों को भी थामा है तुमने,,,, बॉल को जिस तरह से छुकर अपने बल्ले से चौके छक्के मारे हैं तुमने,,, क्या कभी तन्हा अकेले में मेरी बातों ने छुआ है तुम्हें जिस तरह पूरा दिन दे देते हो क्रिकेट को,,, कभी वक्त निकालकर कुछ गुफ्तगू के भाव आते हैं तुम्हारे जहन में,,,, धूप में पसीने से लथपथ क्रिकेट खेल कर एक प्यार भरी ठंडी सिकन मेरे ख्याल भर से क्या आ जाती है तुम्हें,,,, क्या करूं मेरी बातें को तन्हा अकेले में सोच कर हंसते हो या मुस्कुराते हो,,,, क्या कभी इंतजार करते हो मेरे मैसेज मेरे गानो का या मेरी ऊलजलूल बातों का क्या तुम्हें बेबात में सताने का क्या कभी मन करता है कि मेरी आवाज सुनो या मुझको देखो,,,, या रहते हो अपनी में धुन में,,,, मुझे दोस्त बनाकर या भूल जाने का दिखावा करते हो,,,, तुम्हारी लॉकडाउन की बातें तुम्हारी लंबे सफर की घूमने की बाते है साथ में,, मैं हंसी से टाल जाया करती थी,,, या तुम्हारी अजीबोगरीब तस्वीरें कभी खेतों की कभी प्याज के ढेर कि,,, या तुम्हारा रात को अंधेरे में खेत पर सोना और मुझसे रात भर बात करना,, जिस तरह खिलाड़ी बनकर बेट को थामे रखते हो क्या कभी मेरे ख्यालों को भी थामा है तुमने,,,, बॉल को जिस तरह से छुकर अपने बल्ले से चौके छक्के मारे हैं तुमने,,, क्या कभी तन्हा अकेले में मेरी बातों ने छुआ है तुम्हें जिस तरह पूरा दिन दे देते हो क्रिकेट को,,,