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सहज हृदय की प्रत्याशा थी नेहिल नयनों की भाषा थी धी

सहज हृदय की प्रत्याशा थी
नेहिल नयनों की भाषा थी
धीरज धरती धाम धवन को
जिस मग आने की आशा थी
सूने नयन पंथ सब सूने
सूने पे निखरी आभा थी
नहीं किवाड़ पे आहट कोई
पर मुँडेर पर अभिलाषा थी
चाँद! रुपहला चाँद खिला था
मीत! प्रीत की परिभाषा थी
चंदन श्वाँसों में भाषित था
तृप्त नयन की नेह तृषा थी
 #toyou#ilovemoon#yqmoon#whilewaitingforyou#yqcosmos#yqlove
सहज हृदय की प्रत्याशा थी
नेहिल नयनों की भाषा थी
धीरज धरती धाम धवन को
जिस मग आने की आशा थी
सूने नयन पंथ सब सूने
सूने पे निखरी आभा थी
नहीं किवाड़ पे आहट कोई
पर मुँडेर पर अभिलाषा थी
चाँद! रुपहला चाँद खिला था
मीत! प्रीत की परिभाषा थी
चंदन श्वाँसों में भाषित था
तृप्त नयन की नेह तृषा थी
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