सहज हृदय की प्रत्याशा थी नेहिल नयनों की भाषा थी धीरज धरती धाम धवन को जिस मग आने की आशा थी सूने नयन पंथ सब सूने सूने पे निखरी आभा थी नहीं किवाड़ पे आहट कोई पर मुँडेर पर अभिलाषा थी चाँद! रुपहला चाँद खिला था मीत! प्रीत की परिभाषा थी चंदन श्वाँसों में भाषित था तृप्त नयन की नेह तृषा थी #toyou#ilovemoon#yqmoon#whilewaitingforyou#yqcosmos#yqlove