हां माना मैं जा रही थी पर तूने रोका भी नहीं था तूने किया जो मेरे साथ वो धोका भी नहीं था ।। हिम्मत टूट रही थी सो मैंने मुड़ कर नहीं देखा तूने गले से लगा कर हौसला जोड़ा भी नही था ।। बात गैरत की थी तो मेरा जाना लाज़िम था तू ही बता तो क्या ना तेरा मानना लाज़िम था।। #lazim