Nojoto: Largest Storytelling Platform

शायद मैं तुम्हारे दर्द को समझ सकता हूँ, क्योंकि मै

शायद मैं तुम्हारे दर्द को समझ सकता हूँ,
क्योंकि मैं भी उन्ही अँधेरी गलियारों से गुजरा हूँ कभी,
तुम्हारी टिस को अब महसूस कर सकता हूँ,
क्योंकि मैं भी अँधेरी रातों में रोया हूँ कभी।
तुम्हारी उलझन दिखती है मुझे,
क्योंकि मैं भी हारा हुआ भटका हूँ कभी।

तुम्हारी सिसकियों को मैंने सुना है,
क्योंकि मैं भी तकिये में मुँह छिपाकर सुबका हूँ कभी।
तुम्हारी गुमसुम आंखों को जानता हूँ,
तन्हाइयों को मैंने भी छिपाया है  कभी,
शायद मैं तुम्हारे दर्द को समझ सकता हूँ,
क्योंकि मैं भी उन्ही अँधेरी गलियारों से गुजरा हूँ कभी।

©Prashant Roy
  #Sunhera #Nojoto#Nojotopoems #nojotohindi #understanding  Rakesh Srivastava SHAHID HAROON Rahul Bhardwaj Abdullah Qureshi Divya bharti