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ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा क़ाफिला साथ और सफ़र तन्ह

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफिला साथ और सफ़र तन्हा,
अपने साये से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा,
रात भर बोलते हैं सन्नाटे
रात काटे कोई किधर तन्हा,
दिन गुज़रता नहीं है लोगों में
रात होती नहीं बसर तन्हा,
हमने दरवाज़े तक तो देखा था
फिर न जाने गए किधर तन्हा....
-गुलज़ार जी ज़िन्दगी यूं हुई बसर तन्हा...
#गुलज़ारजी
#zinagigulazarhai
#poetry
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा
क़ाफिला साथ और सफ़र तन्हा,
अपने साये से चौंक जाते हैं
उम्र गुज़री है इस क़दर तन्हा,
रात भर बोलते हैं सन्नाटे
रात काटे कोई किधर तन्हा,
दिन गुज़रता नहीं है लोगों में
रात होती नहीं बसर तन्हा,
हमने दरवाज़े तक तो देखा था
फिर न जाने गए किधर तन्हा....
-गुलज़ार जी ज़िन्दगी यूं हुई बसर तन्हा...
#गुलज़ारजी
#zinagigulazarhai
#poetry

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