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ये दर्द न बयां होता न छुपा पाती हूं, मैं नहीं जानत

ये दर्द न बयां होता न छुपा पाती हूं,
मैं नहीं जानती की अब क्या चाहती हूं,

थक भी गयी हूं,और थकान भी नहीं होती,
सबसे बात होती है पर कोई बात भी नहीं होती,

साथ सब है और कमी भी रहती है,
आँसू नहीं आते पर नमी भी रहती है,

खबर सबकी है और बेखबर भी सबसे हूं,
ठिकाना अपना है पर दरबदर भी कबसे हूं, Mai nahi janti ki ab kya chahti hu..😐
ये दर्द न बयां होता न छुपा पाती हूं,
मैं नहीं जानती की अब क्या चाहती हूं,

थक भी गयी हूं,और थकान भी नहीं होती,
सबसे बात होती है पर कोई बात भी नहीं होती,

साथ सब है और कमी भी रहती है,
आँसू नहीं आते पर नमी भी रहती है,

खबर सबकी है और बेखबर भी सबसे हूं,
ठिकाना अपना है पर दरबदर भी कबसे हूं, Mai nahi janti ki ab kya chahti hu..😐

Mai nahi janti ki ab kya chahti hu..😐