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*उम्र की दहलीज पर* *जब सांझ की आहट* *होती है,,*

*उम्र की दहलीज पर* 
*जब सांझ की आहट* *होती है,,*

*तब यकायक ख्वाहिशें थम जाती हैं,,* 
*और सुकून की तलाश बढ़ जाती है,,!!*
  *कहते है न,,*
 *उम्रे दराज़ मांग कर लाए थे चार दिन..*
  *दो आरजू मे कट गये,*
  *दो इन्तजार मे..*

©KRISHNA
  #Barsaat
shankarlal2621

KRISHNA

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