" तुम क्या जानो" झूठी मुस्कान है चेहरे पे, और ग़म से रिश्ता जोड़ रखा है । " तुम क्या जानो" उसके दिल को, किसने किसका चेहरा ओढ़ रखा है। फिरते हैं बेखौफ शहर में, मासूमी का लगाके चेहरा ये सारी करतूत उन्हीं की , बेरहमी से जिसने दिल को तोड़ रखा है।। # तुम क्या जानो