इन बिगड़ते हालातों के, केवल हम ही जबाबदार नहीं। प्यार तो दोनों तरफ था, केवल हम ही गुनाहगार नहीं। हमने तुमको दिल से चाहा, तुमने हमें क्या सिला दिया। मोहब्बत दोनों की चाह थी, केवल हम ही तलबगार नहीं। क्यूँ अब हम गिला करें, जब दोनों ने ये हालात बनाएं। दिल से दिल लगाने की, कोई वजह ही असरदार नहीं। जब करना था हमने किया, इज़हार-ए-मोहब्बत भी सनम। दिल से दिल की दूरियों की, कोई वजह ही इस बार नहीं। अब क्यूँ पछताते हो, जब गम-ए-मोहब्बत दिल को हुआ। अश्कों से दामन भिगोने की, नई कोई वजह दिलदार नहीं। ♥️ Challenge-557 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।