समन्दर पीर का खुद में समेटे हम भी बैठे हैं..। वो देते जख्म भी हैं और लिए मरहम भी बैठे हैं..। खबर है ही नही जिनको की उनसे रूठे हैं हम भी हमें वो मनाएंगे, ये पाले भ्रम भी बैठे है भ्रम