बिखरी जटा पे शशि विराजे शैष भुजंग भुजा पर साजे दो नयनों के बीच में लोचन करता सबके वह कष्ट मोचन कंठ में विष ठहरा रहता है काल पर जिसका पहरा रहता है अश्रुओं से जिसके वृक्ष निर्मित हो सीमा भी जिसकि अ-सिमित हो जटा के केंद्र से गंगा बहती हो आयु-वायु जिसमें रहती हो वही धरती का केंद्र बना है वही देवों का देवेंद्र बना है भय जिससे डरकर रहता है जो भूतो के घर में रहता है सबके आराध्य वहीं है मैरे महादेव वहीं है #NojotoQuote शिव है ,तो सब है #महाशिवरात्रि #महादेव #nojotohindi