बदनसीबों के नसीब में बदनसीबों के नसीब में , मेहनत कब बड़ा हुआ बेरोजगार है युवा , कितना लिखा - पढ़ा हुआ मुद्रा स्फीति भी गिर रही , कैसा बुरा आंकड़ा हुआ डॉलर - युरो मौज में हैं, रुपया लाचार सा है पड़ा हुआ कश्मीर वाली खबर, कब तक देगी खुशी हमे जो महगांई बढ़ती गई ,जो घर वालो का मुंह है उखड़ा हुआ सांस लेने के तकलीफ से, जूझ रही है जीडीपी अर्थव्यवस्था को कफ ने , बुरी तरह है जकड़ा हुआ अभी कुछ पल पहले ही, चलना तो हमने सीखा था पाव उसका भी तोड़ दिया , जो अपने पाव पर था खड़ा हुआ! #poeticPandey #GAURAVpandeyPoet ये क्या हुआ #nojotohindi