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किताबें झांकती है बन्द अलमारी के शीशे से बड़ी हसरत

किताबें झांकती है बन्द अलमारी के शीशे से
बड़ी हसरत से ताकती है,
महीनों अब मुलाकात नही होती जो शाम उनकी सोहबत में कटा करती थी,
अब अक्सर वो गुलज़ार नही हुआ करती। #किताबो वो दौर
किताबें झांकती है बन्द अलमारी के शीशे से
बड़ी हसरत से ताकती है,
महीनों अब मुलाकात नही होती जो शाम उनकी सोहबत में कटा करती थी,
अब अक्सर वो गुलज़ार नही हुआ करती। #किताबो वो दौर
rahulverma5967

RAHUL VERMA

New Creator

#किताबो वो दौर #Quote