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White मिरे लिए कौन सोचता है जुदा जुदा हैं मिरे क़ब

White मिरे लिए कौन सोचता है
जुदा जुदा हैं मिरे क़बीले के लोग सारे
जुदा जुदा सब की सूरतें हैं
सभी को अपनी अना के अंधे कुएँ की तह में पड़े हुए
ख़्वाहिशों के पिंजर
हवस के टुकड़े
हवास रेज़े
हिरास कंकर तलाशना हैं
सभी को अपने बदन की शह-ए-रग में
क़तरा क़तरा लहू का लावा उंडेलना है
सभी को गुज़रे दिनों के दरिया का दुख
विरासत में झेलना है
मिरे लिए कौन सोचता है
सभी की अपनी ज़रूरतें हैं
मिरी रगें छिलती जराहत को कौन बख़्शे
शिफ़ा की शबनम
मिरी उदासी को कौन बहलाए
किसी को फ़ुर्सत है मुझ से पूछे
कि मेरी आँखें गुलाब क्यूँ हैं
मिरी मशक़्क़त की शाख़-ए-उरियाँ पर
साज़िशों के अज़ाब क्यूँ हैं
मिरी हथेली पे ख़्वाब क्यूँ हैं
मिरे सफ़र में सराब क्यूँ हैं
मिरे लिए कौन सोचता है
सभी के दिल में कुदूरतें हैं

©Jashvant
  #हवस के टुकड़े  puja udeshi  Ek Alfaaz Shayri  Andy Mann  Mukesh Poonia  vineetapanchal  Dr.Mahira khan