में आज अपनी कहानी सुना दु उनके होंठा की हँसी, मने देख वापिस मुड़ जा से, इसते बड़ा दर्द और के होगा, में स्यामी जाऊ तो मने देख मुँह फेर जा से, माँ का बेटा, बाप का हरामी, बहन का हीरो, ये सुणन ने कान तरस जा से, इसते बड़ा दर्द और के होगा, जब अपने ही अपने ने दूर कर जा से, या बेब्सी, या खामोसी, ये काले धुन्धले क़िस्से, यार मेने अपनी मर्जी तो थोड़ी छाटे से, इसते बड़ा दर्द और के होगा, जब अपने साथ देन ते मुकर जा से, शायद एक दिन होजा ऐसा वे पकड़ हाथ मने भीतर लेजा इस बात ने सोच-सोच के वो सो जा से, हाँ इसते बड़ा दर्द और के होगा घर का दर्द