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हमसे दूरियां बढ़ाने का एक सिलसिला चल पड़ा है, खुशियो

हमसे दूरियां बढ़ाने का
एक सिलसिला चल पड़ा है,
खुशियों के फूल मुर्झा गए और
ग़म का फूल तूफ़ा में भी खिल पड़ा है.!

जब जरूरत थी कोई पास न आया,
मैं क्यों किसीको रास न आया,
मेरे जनाज़े में उनके घड़ियाली आंसू देख
जनाज़े में खामोश मुर्दा भी रो पड़ा है.!!
©Ajay

©Khamosh Zindagi हमसे #दूरियां  बढ़ाने का
एक #सिलसिला चल पड़ा है,
खुशियों के #फूल  मुर्झा गए और
ग़म का फूल #तूफ़ां  में भी खिल पड़ा है.!

जब जरूरत थी कोई पास न आया,
मैं क्यों किसीको रास न आया,
मेरे #जनाज़े में उनके घड़ियाली #आंसू  देख
हमसे दूरियां बढ़ाने का
एक सिलसिला चल पड़ा है,
खुशियों के फूल मुर्झा गए और
ग़म का फूल तूफ़ा में भी खिल पड़ा है.!

जब जरूरत थी कोई पास न आया,
मैं क्यों किसीको रास न आया,
मेरे जनाज़े में उनके घड़ियाली आंसू देख
जनाज़े में खामोश मुर्दा भी रो पड़ा है.!!
©Ajay

©Khamosh Zindagi हमसे #दूरियां  बढ़ाने का
एक #सिलसिला चल पड़ा है,
खुशियों के #फूल  मुर्झा गए और
ग़म का फूल #तूफ़ां  में भी खिल पड़ा है.!

जब जरूरत थी कोई पास न आया,
मैं क्यों किसीको रास न आया,
मेरे #जनाज़े में उनके घड़ियाली #आंसू  देख