हमसे दूरियां बढ़ाने का एक सिलसिला चल पड़ा है, खुशियों के फूल मुर्झा गए और ग़म का फूल तूफ़ा में भी खिल पड़ा है.! जब जरूरत थी कोई पास न आया, मैं क्यों किसीको रास न आया, मेरे जनाज़े में उनके घड़ियाली आंसू देख जनाज़े में खामोश मुर्दा भी रो पड़ा है.!! ©Ajay ©Khamosh Zindagi हमसे #दूरियां बढ़ाने का एक #सिलसिला चल पड़ा है, खुशियों के #फूल मुर्झा गए और ग़म का फूल #तूफ़ां में भी खिल पड़ा है.! जब जरूरत थी कोई पास न आया, मैं क्यों किसीको रास न आया, मेरे #जनाज़े में उनके घड़ियाली #आंसू देख