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वह चलता रहा रात भर , हकीकत की खोज मे, जबकि वह बस्त

वह चलता रहा रात भर ,
हकीकत की खोज मे,
जबकि वह बस्ती थी
 झूठ और फरेब की।।
वह जलता रहा उम्रभर
उजाला बनने के लिए
जबकि वह बस्ती थी
निराशा-अंधेर की।।
वह ढ़ूडता रहा उम्रभर 
दो पल सुख चैन के,
जबकी वहां गलियां थी
धोखे और हेरफेर की।।
भाग दौड़ मे भटक गया,
पहुँचा जंगल वीराने मैं,
वहाँ भी भय एकान्त मिला,
हस्ती थी चीते-शेर की।।
पुष्पेन्द्र'

©Pushpendra Pankaj #walkalone 
जाएं तो जाएं कहां
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वह चलता रहा रात भर ,
हकीकत की खोज मे,
जबकि वह बस्ती थी
 झूठ और फरेब की।।
वह जलता रहा उम्रभर
उजाला बनने के लिए
जबकि वह बस्ती थी
निराशा-अंधेर की।।
वह ढ़ूडता रहा उम्रभर 
दो पल सुख चैन के,
जबकी वहां गलियां थी
धोखे और हेरफेर की।।
भाग दौड़ मे भटक गया,
पहुँचा जंगल वीराने मैं,
वहाँ भी भय एकान्त मिला,
हस्ती थी चीते-शेर की।।
पुष्पेन्द्र'

©Pushpendra Pankaj #walkalone 
जाएं तो जाएं कहां
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#walkalone जाएं तो जाएं कहां ---------------------- #कविता