वो मीठी राते, वो सुनहरे से दिन, वो खुशनुमा जहां ढूंढता हूँ। आती थी जो बेवजह होठो पर वो खोई सी मुस्कान ढूंढता हूँ। इस भीड़ में गुम सी गयी है कहि, खुद की वो पहचान ढूंढता हू। जो रहते थे हरदम मन में डेरा डाले, मासूम ज़िद्दी से वो ख्वाब ढूंढता हूँ। जिस मोड़ पर रुठ कर बिछड़ गयी थी मुझसे, वापस जाकर वही ज़िन्दगी के निशान ढूंढता हूँ। पूरी कर सके जो इन बेअदब सी नज़्मों को वो शब्दो के श्रृंगार ढूंढता हूँ। ताकते रहते है जिसे फलक में सभी उस खुदा के अस्तित्व के निशान ढूंढता हूँ। उड़ते थे जिनमे ख्वाबो के परिंदे खोया हुआ वो आसमान ढूंढता हूँ। वो मीठी राते, वो सुनहरे से दिन, वो खुशनुमा जहां ढूंढता हूँ। dhundta hu #life #love #gazal #feelings