एक अरसे से दूर हूँ अपने घर से मैं मुझे भी अब इक घर की तलाश हैं जिसपर चलकर मुझे मंजिल मिले मुझको ऐसे रहगुज़र की तलाश हैं कड़ी धूप ने बहुत जलाया हैं मुझे घनी छांव वाले शज़र की तलाश हैं अब तलक शब में गुज़री है ये जिंदगी रोशनी दे जो उस फ़ज़र की तलाश हैं धोके बहुत खाये हैं हर मोड़ पर मैंने बस इक सच्चे हमसफ़र की तलाश हैं #अनकहेअल्फ़ाज़ #मेराघर #सफरनामा #सफर_ए_जिंदगी #yqdidi