ज़िन्दगी जोरों से हसी और बोली, मैं तेरी दुश्मन नहीं पगली ज़िन्दगी हूं तुझे जीमेदारियों का अहसास करा रही थी। सही गलत के बीच फर्क क्या है बस अंतर समझा रही थी। वक़्त बे वक़्त बुरा दौर जब भी आया तेरी मां बन कर तेरी पीठ थपथपा रही थी। मै तेरी दुश्मन नहीं पहली ज़िन्दगी हूं उस बेवफा छिछोरे के बैगैर तुझे जीना सीखा रही थी। तू ना समझ थी पागल थी उस के लिए मै तुझे उसका असली चेहरा दिखा रही थी। मै तेरी दुश्मन नहीं ज़िन्दगी हूं पगली तुझे अकेले जीना सीखा रही थी।। छोटा चूहा ©chhichhori ज़िन्दगी मेरी